Tuesday, June 19, 2007

Sabhi BLG को मेरा नमस्कार





में आज बहुत खुश हूँ कि शेर भाई ने एक और प्रयास किया हम सभी भूख्लुन्दो को एक साथ जोड़ने का...
वैसे आप लोगो को पता नही होगा पेर हमारे शेर भाई जो हमारे इस समूह के रजा हैं....इस समूह को छोड़ने कि बात सोच रहे थे पेर...हमें कुशी है कि उन्होने अपने दिल कि बात ना सुनकर अपनी अंतरात्मा कि बात सुनी और आज भी हमारे बीच में भूक्लुन्द हैं..
वैसे भांजे ने भी ख़ूब कहा कि हमारा पूरा समूह कालेज में सबसे बड़ा भूक्लुन्द रह......यहाँ तक कि लडकियां भी.....
भाई लोग हम सब को एक जुट होना पड़ेगा......
कृष्ण के बारे में कुछ सोचो....
वोह दिन परती दिन हमारी पीदेयों से चली आ रही भूक्लुन्द परम्परा कि धजिया उड़ रह है और हम क्या केर रहे हैं केवल उस पेर हस रहे हैं..
हम सभी को एकजुट होकर उसे समझाना चाहिऐ....क्या समझाना चाहिऐ...यही कि...
सब मिथ्या है...मोह माया है.......क्या लाया था....... क्या ले जाएगा...
भूक्लुन्द ही तू इस दुनिया में आया था....और बूख्लुन्द ही जाएगा......

इसिस के साथ अब में समाप्त करता हूँ...
पांडव नगर संवाद डाटा..



सियार